मशहूर एक्टर मुकुल देव Passed Away: नहीं रहे मशहूर एक्टर Mukul Dev, 54 की उम्र में ली अंतिम सांस
मुकुल देव: एक कलाकार, जो हर किरदार में सच्चाई जीता था
By BhattVerse365
कुछ चेहरे पर्दे पर ज़्यादा नहीं बोलते, लेकिन जब भी नज़र आते हैं — एक गहरी छाप छोड़ जाते हैं। मुकुल देव ऐसे ही कलाकार थे। वो नायक हों या खलनायक, छोटे रोल में हों या सपोर्टिंग कास्ट में — उनका अभिनय हमेशा अलग रहता था। उनका जाना सिर्फ एक अभिनेता का जाना नहीं है, बल्कि उस विश्वसनीयता का भी अंत है जो अभिनय में सच्चाई की मिसाल थी।
एक सामान्य परिवार से एक विशेष कलाकार तक
दिल्ली में जन्मे मुकुल देव का शुरुआती जीवन आम बच्चों जैसा था। वो पढ़ाई में अच्छे थे, खेलकूद में भी सक्रिय और उनकी सबसे बड़ी खासियत थी — अनुशासन। शायद यही वजह रही कि अभिनय के पहले उन्होंने एविएशन की ओर रुख किया और पायलट की ट्रेनिंग पूरी की। लेकिन ज़िंदगी ने उनके लिए कुछ और ही सोच रखा था।
पहली बार कैमरे के सामने
कैमरे के सामने उनकी शुरुआत किसी बड़े प्रोडक्शन या ग्रैंड लॉन्च से नहीं हुई। टीवी के साधारण से किरदार से उन्होंने शुरुआत की, लेकिन वहां भी उन्होंने ऐसा असर छोड़ा कि बड़े डायरेक्टर्स का ध्यान उन पर गया। उन्हें छोटे-छोटे रोल मिले, लेकिन वे रोल छोटे नहीं लगे।
फिल्में जो मुकुल देव के बिना अधूरी रहतीं
वो कोई मेनस्ट्रीम हीरो नहीं थे — लेकिन कई ऐसी फिल्में हैं जो उनके बिना अधूरी लगती हैं। याद कीजिए कोई सख्त ACP का किरदार, या एक सोचने पर मजबूर कर देने वाला विलेन — मुकुल देव इन भूमिकाओं में जान डाल देते थे। उन्होंने बॉलीवुड, पंजाबी, तेलुगू और मलयालम फिल्मों में भी काम किया और हर इंडस्ट्री में उनका सम्मान था।
टेलीविजन और वेब की दुनिया में छाप
जब लोग टीवी को कमज़ोर माध्यम मानते थे, मुकुल देव ने वहां भी दमदार मौजूदगी दर्ज कराई। वे सिर्फ एक्टिंग नहीं करते थे, वो दृश्य को ‘महसूस’ करवाते थे। जब वे 'सरफरोश: 1897' जैसे शो में दिखाई दिए, तो दर्शकों ने कहा — ‘यह कलाकार सिर्फ रोल निभाता नहीं, उसमें जीता है।’
निजी जीवन और विनम्रता
शोहरत के बावजूद मुकुल देव जमीन से जुड़े रहे। उन्हें कभी लाइमलाइट का शौक नहीं रहा। न विवादों में पड़े, न सस्ती लोकप्रियता की चाह रखी। उनके इंटरव्यूज़ में हमेशा एक बात झलकती — "मैं हमेशा ऐसा रोल करना चाहता हूँ जो मेरे भीतर के कलाकार को संतुष्टि दे।”
अंतिम संदेश और प्रेरणा
उनके निधन की खबर से फिल्म इंडस्ट्री को बड़ा झटका लगा। लेकिन उनकी यात्रा एक उदाहरण है — कि सफलता सिर्फ चमकने में नहीं, ईमानदारी से निभाए गए हर किरदार में होती है।
मुकुल देव से हमें क्या सीख मिलती है?
- बड़े रोल नहीं, बड़ी सोच जरूरी होती है।
- स्थिरता और अनुशासन लंबी रेस का घोड़ा बनाते हैं।
- काम के लिए नहीं, कलाकारी के लिए जियो।
- शोर नहीं, असर ज़रूरी है।
निष्कर्ष
मुकुल देव का जाना एक युग का अंत है, लेकिन उनका अभिनय और व्यक्तित्व हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। उन्हें याद करना एक फिल्म या किरदार तक सीमित नहीं है — बल्कि उनके उस जीवन दर्शन को स्वीकारना है जिसमें काम को पूजा, और अभिनय को आत्मा माना गया।
BhattVerse365 की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि — और उनके योगदान को सलाम।
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